लुटेरा है अगर आजाद तो अपमान सबका है,लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है

आप की आवाज
शक्तिमान मिश्रा
केराकत जौनपुर
==बलात्कार==
लुटेरा है अगर आजाद तो अपमान सबका है,
लुटी है एक बेटी, तो लुटा सम्मान सबका है ।
बनो इंसान पहले छोड़ कर तुम बात मजहब की,
लड़ो मिलकर दरिंदों से ये हिन्दुस्तान सबका है ॥ 1 ॥
बलत्कार जैसे अपराधों की कड़ी सजा क्या हो सकती है,
इन नीच अपराधियों को सुधारने की दवा क्या हो सकती है ।
मजहब – मजहब करते करते कितने घर बर्बाद हुए,
शर्म आता होगा उन माँ बाप को भी ये कैसे औलाद हुए ॥  2 ॥
क्यू रे दरिंदों क्या तुमको शर्म नहीं आती होंगी,
पूछ अपने बहन – बेटियों से कितने ताने खाती होंगी।
होती होंगी तेरे वजह से रोज सारे बजारो मे जलील,
तेरे जैसे पापियों के वज़ह से कुचले जाते नित्य प्रसून ॥ 3 ॥
अम्बर भी रोता होगा – सागर से कहता होगा,
क्यू नहीं ले कर आता है तू सुनामी ।
क्या – क्या जतन कर के पाले होंगे तेरे भी माँ – बाप और स्वामी ,
उनको क्या पता होगा तू इतना बड़ा होगा हरामि ॥ 4 ॥

तेरे वजह से ओ ‘हवसी’
ये शक्ति भी शर्मिंदा होता है ।
हर बार प्रश्न आता है मन मे,
क्या ये पुरुष भी इतना गन्दा होता है ॥ 5 ॥
तू पूछ अपने बहन से या फिर अपने महतारी से,
केसे सीचते है बचपन मे आँचल और सारी से ।
तेरे ईन कू – कर्मों की सजा इनको भी मिलती है,
बाहर निकलते ही दुनिया इनको भी थू – थू करती है ॥ 7 ॥
ऐ मानुस खूनों में क्योँ ज्वाला नहीं धधकती तेरे,
क्योँ मौन साधकर चुप हो जाते हो,
क्योँ बनकर दलाल तुम देखते रहते
अपनी बहन- बेटी की इज़्ज़त लुटवाते हो ॥ 8

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